गायत्री वैदिक मंत्र की देवी का नाम है जिसमें श्लोक की रचना की गई है। गायत्री वैदिक मंत्र की देवी का नाम है जिसमें श्लोक की रचना की गई है।
माँ भी तू, देवी भी तू माँ भी तू, देवी भी तू
मैं...नारी में सावित्री हूँ वेदों में गायत्री हूँ मैं....श्रध्दा भी, समर्पण भी। मैं...नारी में सावित्री हूँ वेदों में गायत्री हूँ मैं....श्रध्दा भी, समर...
मणि मुक्ता मंत्र व्यर्थ उर गहरे गड़ी मेख। मणि मुक्ता मंत्र व्यर्थ उर गहरे गड़ी मेख।
तुम्हें नवगीत सुनाती हूँ बढ़ते जाओ, बढ़ते जाओ जीवन पथ पर आगे जाओ कभी ना रुकना तुम्हें नवगीत सुनाती हूँ बढ़ते जाओ, बढ़ते जाओ जीवन पथ पर आगे जाओ कभी ना रुकना
लगा कर दौड़ वक्त के साथ वक्त से फिर हाथ मिलाओ। लगा कर दौड़ वक्त के साथ वक्त से फिर हाथ मिलाओ।